मेरे फौजी पापा ने मुझे कार में चोदा - Antarvasna Story

बाप बेटी सेक्स कहानी में मम्मी पापा की चुदाई देखकर मेरा मन पापा से चुदने को करता था क्योंकि उनका लंड शानदार था. वे जम कर मम्मी को चोदते थे.

हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम सीमा है.
मेरे घर में मम्मी पापा, मेरा एक छोटा भाई है.
हम सब साथ में रहते हैं.

मैं एक गोरी चिट्टी लड़की हूं मेरे मेरे शरीर का सुडोल बहुत ही अच्छा बना है.
मेरी चूची बढ़ती जा रही हैं.
मैं क्लास 12वीं में पढ़ती हूं.
मेरे भाई ने अभी 10 वीं पास किया है.


मेरे पापा फौज की नौकरी करते थे, पर अब वे रिटायर हैं.

उनकी कद-काठी बहुत ही शानदार है और वे बहुत ही मजबूत मर्द हैं.

कभी-कभी मेरे पापा जब मम्मी की चुदाई करते थे, तो मैं उन दोनों की चुदाई देख लेती थी.

मेरे पापा का लंड काफी मोटा और बड़ा है.
वे जब भी मेरी मम्मी को चोदते थे तो मम्मी रोने लगती थीं.

मम्मी पापा की चुदाई देखते देखते मैं भी कब चुदाई के लायक हो गई, मुझे पता ही नहीं चला.

बस मुझे इतना पता चल गया था कि मुझे जब भी पहली बार अपनी चुत में लंड लेने का मौका मिलेगा तो मैं अपने पापा का मोटा लंड ही लेना पसंद करूंगी.

एक दिन की बात है.
मामा जी का फोन आया कि नानी की तबीयत बहुत खराब है.

बस फिर क्या था, मम्मी और मेरा छोटा भाई मामा के घर चले गए.

मैं और पापा घर में बचे.
मम्मी और मेरा भाई अंकुश दोपहर को घर से निकले थे.

उनके निकलने के बाद बुआ जी का फोन आया कि फूफा जी की तबीयत बहुत खराब है, जल्दी से जल्दी आ जाओ और उन्हें एक बार देख लो. वे अपने साले को देखने के लिए तड़प रहे हैं.

मेरे पापा ने कहा- ठीक है, मैं आता हूं.
पापा बुआ के घर जाने के लिए तैयारी करने लगे.

मैं हैरान हो गई कि मैं अकेली घर में कैसे रहूंगी.
मैंने पापा से कहा- मम्मी भी नहीं हैं, भैया भी नहीं है और आप भी जा रहे हो. मुझे अकेले डर लगेगा, आप मुझे भी साथ में लेकर चलो.

पापा राजी हो गए और बोले कि ठीक है बेटी, तुम भी साथ चलने को तैयार हो जाओ.
मैंने अपने बैग में कुछ जरूरी कपड़े भरे और पापा के पास आ गई.

पापा ने अपनी कार का तेल पानी चैक करके रेडी कर लिया था.
अब हम दोनों शाम को घर से निकलने की तैयारी में जुट गए. करीब 4:00 बजे हम दोनों कार से निकले.

बारिश का सीजन था और उसी वजह से अंधेरा भी काफी हो चुका था.

उस वक्त डिनर का समय हो गया था और मुझे भूख लगने लगी थी.
मैंने पापा से कहा कि मुझे भूख लगी है. कुछ खाना है.

पापा ने कहा- ठीक है, रास्ते में कोई ढाबा या रेस्टोरेंट देखेंगे, तो वहीं कार रोक लेंगे और कुछ खा लेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.

रात को 7:30 बजे रास्ते में एक होटल दिखाई दिया. बारिश के कारण काफी अंधेरा हो चुका था.
फिर हम दोनों ने पापा ने वहां जाकर हल्का-फुल्का नाश्ता किया व चाय पी.

थोड़ी देर आराम करने के बाद फिर से निकलने की तैयारी करने लगे.
मैंने पापा से कहा- चलो चलते हैं.

बारिश इतनी तेज हो रही थी कि कार काफी दूर खड़ी थी.
कार तक पहुंचते-पहुंचते मैं और पापा काफी भीग गए.

कार के पास पहुंचे तो पापा बोले कि कार की चाबी को तो मैं रेस्टोरेंट में ही भूल आया हूँ.
मैं उनकी इस गलती पर खीझ उठी.

पहली बार सगे पति का लंड लिया - Antarvasna Story


पापा बोले- बेटी तुम रुको, मैं चाबी लेकर अभी आता हूं.
पापा दौड़ते हुए चाबी लेने के लिए भागे. इस भाग दौड़ में पापा भी काफी भीग गए थे और मैं भी खूब भीग गई.

पापा चाभी लेकर आए, तब हम दोनों कार में बैठे. पापा कार आगे बढ़ाने को हुए.
तो मैंने पापा से कहा- मुझे सूसू लगी है.

पापा ने कहा- यहीं पर गेट पर खोलकर सुसु कर लो.
काफी मुझे ठंड लगने लगी थी. पापा आगे की सीट में बैठे थे.

वे बोले- सीमा बेटी तुम कपड़े चेंज कर लो. कोई बात नहीं है, मैं पीछे नहीं देखूंगा. शर्म मत करो, तुम कपड़ा चेंज कर लो.
मैंने कहा- ठीक है पापा.

मैं कपड़े चेंज करने लगी लेकिन पापा कार में लगे व्यू मिरर में से मुझे देख रहे थे. वे मुझे देख कर अपना हाथ अपने लंड पर रखकर उसे सहला रहे थे.
मैंने यह सब देखकर नजरअंदाज कर दिया.

कुछ देर बाद मैंने कहा कि पापा मैंने तो चेंज कर लिया है, अब आप भी चेंज कर लो.
पापा बोले- बेटी मेरा बैग दे दो. मैं आगे ही बैठकर चेंज कर लेता हूं.

मैं बोली- नहीं पापा, आगे अच्छे से चेंज करते नहीं बनेगा. आप भी पीछे आ जाओ.
फिर पापा पीछे आ गए.

पापा ने जैसे ही अपनी शर्ट व बनियान उतारी, मैंने देखा कि उनकी चड्डी में काफी उभार आया हुआ था. उनका लंड तना हुआ था.

उनका अकड़ा हुआ लंड देख कर अब मेरी भी चुत में खुजली होने लगी.
लेकिन मैं शर्म के मारे पापा से कुछ बोल नहीं पा रही थी.

पापा भी कपड़े बदलने जानबूझ कर देरी कर रहे थे. फिर उन्होंने आखिरकार कपड़ा बदली करना शुरू कर दिया.

पापा ने पहले बनियान पहनी और वे शर्ट पहनने लगे.
मैंने कहा- पापा आपकी तो चड्डी भी गीली है. पहले चड्डी तो बदल लो.

पापा बोले- सीमा बेटी तुम्हारे सामने मैं कैसे चड्डी बदली करूं?
मैंने कहा- पापा मैं तो आपकी बेटी हूं, इसमें क्या शर्माना! उतार लो चड्डी और दूसरी चड्डी पहन लो.
पापा बोले- ठीक है.

पापा ने जैसे चड्डी उतारी, उनका लंड देखकर मेरा मन हिचकोले खाने लगा, बहकने लगा.

मैं तिरछी नजर से पापा के लंड को देखे जा रही थी और मन ही मन पापा के लंड से चुत को रगड़वाने का सोच रही थी.
पापा के लंड से चुदने का मजा ले रही थी.

अचानक से पापा बोले- सीमा बेटी मैं तो चड्डी लाना ही भूल गया.
मैंने झट से बोला- पापा कोई बात नहीं, आप मेरी चड्डी पहन लो.

पापा- बेटी तुम्हारी चड्डी मुझे कैसे आएगी?
मैंने हंस कर कहा- पापा पहन लो, आपके लंड को कुछ तो आराम मिलेगा!

पापा ने लंड शब्द सुना तो वे बोले- ठीक है बेटी, दे अपनी चड्डी.
मैंने जानबूझकर पतली बद्दी वाली चड्डी अपने पापा को दे दी.

जैसे ही मेरे पापा ने मेरी चड्डी पहनी, उनका टाइट लंड चड्डी में छुप ही ना सका.
उनका लंड बाहर ही रह गया.

पापा बोले- बेटी यह कैसी चड्डी है? मेरा लंड तो बाहर ही है. मैं पैंट पहनूँगा तो चैन बंद ही नहीं होगी. यदि बंद होगी भी तो चैन लंड में लग सकती है.

मैंने झट से कहा- पापा मेरे पास एक आइडिया है आपके लंड को छोटा करने के लिए!
‘बेटी वह कौन सा आइडिया है!’

मैंने कहा- पापा आपके लंड को मेरे मुँह में या मेरी बुर में जाना पड़ेगा.
पापा बोले- बेटी यह तो गलत है.

मैंने कहा- पापा, जब आप मम्मी को चोदते हो तो मैंने आपके मुँह से न जाने कितनी बार सुना है कि सीमा बेटी को भी एक बार चोदना है. लेकिन मां ने कभी आपकी बात नहीं मानी.

एक पल रुक कर मैंने पापा की तरफ देखा उनकी आँखों में वासना का ज्वार दिख रहा था.
मैंने तुरंत गर्म लोहे पर चोट मारना रही समझा.

मैंने उनके लौड़े पर हाथ रखते हुए कहा- आज आपके पास मौका है, आज आप मेरी बुर को चोद सकते हो! पापा मेरी बुर से रस टपक रहा है, रसगुल्ले की तरह .. प्लीज पापा आज मुझे चोदो, मेरी बुर को भोसड़ा बना दो. आज तक मैंने सिर्फ लंड देखा है, बुर में कभी लंड नहीं लिया है. प्लीज पापा, आज मुझे चोदो, आज मुझे चोद ही दो .. प्लीज पापा चोदो न .. मेरी बुर बहुत चुलबुला रही है, उसे आपके छोटू बाबा के साथ खेलना ही है.

पापा बोले- ठीक है बेटी, मेरी भी तमन्ना आज पूरी हो जाएगी. चला आ जा मेरा लंड मुँह में ले ले.
मैंने तुरंत पापा के लंड को एक ही बार में अपने मुँह में घुसा लिया.

मैंने जल्दबाजी में पापा के लौड़े को अपने मुँह में ले तो लिया था, पर उनके मोटे लवड़े से मेरी सांसें रुक गई थीं.
मेरे पापा का लंड कितना मोटा था और इतना लंबा था कि मेरी हालत फड़फड़ाने लगी.

वे अपने लंड को मेरे मुँह से बाहर निकालने की कोशिश करने लगे.
मैंने उनके लंड को हाथ से पकड़ कर उन्हें रोकते हुए कहा- पापा मेरा सर ऊपर मत होने देना, जोर-जोर से दबाए रखना, चाहे आज मेरी जान मेरे मुँह से निकल जाए!

पापा बोले- ठीक है बेटी, आज तेरी इच्छा को मैं जरूर पूरी कर दूंगा.
अब पापा मेरा सर पकड़ कर लंड को दे दनादन अन्दर तक पेलने लगे.

उनके मुँह से कामुक आवाजें आने लगीं- आह साली खूब ठुकवा ले और रांड बन कर ही अपनी ससुराल जाना.
तभी उनके लंड से पानी निकलने लगा और मेरा मुँह उनके लौड़े के रस से भर गया.

पापा ने तेज तेज झटके देते हुए अपने लौड़े का सारा रस मेरे मुँह में भर दिया.
मेरे मुँह में उनके लंड से वीर्य की पिचकारी अजीब सी खुशबू मारते हुए निकलने लगा. मैं गट गट करके सारा पानी पी गई.

पापा बोले- बेटी, मेरे लंड को तो आराम मिल गया, लेकिन अभी तेरी चुत की पूजा बाकी है!
मैंने कहा- पापा, आप मेरी चुत को चोदा चोदी करके फाड़ दो.

पापा बोले- हां बेटी, मैं जरूर तेरी मनोकामना पूरी करूंगा. तुम बस मेरा लंड अपने मुँह में फिर से ले लो. इसको चूस कर फिर से खड़ा कर दो.
बस फिर क्या था, मैंने पापा के लंड को चाट चाट कर साफ किया और फिर से अपने मुँह में लेकर लंड को तैयार करने लगी.

पापा अपनी कामुकता को बढ़ाने के लिए मेरे दूध भी दबाने लगे. मुझे उनसे अपने दूध चुसवाने का मन करने लगा.
मैंने कहा- पापा मेरे दूध चूस लो न!

पापा बोले- हां बेटी तभी मेरे लौड़े में जान आएगी. आ जाओ, मुझसे अपनी चुत भी चटवा लो.
मैंने अपनी चुत पापा के मुँह पर रख दी और उनके लौड़े को चूसने लगी. कार की कम जगह में 69 भी बड़ी मुश्किल से बन सका था.

हम दोनों को कुल दस मिनट लगे होंगे कि उतनी देर में ही हमारी चुदास पुनः जाग्रत हो गई.
मैंने देखा कि पापा का लंड सनसनाता हुआ किसी लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो गया था.

पापा लंड सहलाते हुए बोले- तुम मेरे लंड पर बैठ जाओ.
मैंने पापा से कहा- नहीं पापा, मैं लंड पर नहीं बैठूंगी. मैं घोड़ी बन जाती हूं. आप पीछे से मेरी चुत चुदाई करो.

पापा बोले- ठीक है बेटी, जैसे तुम चाहो.

मैं घोड़ी बन गई. पापा ने अपना लंड मेरी गांड के छेद में घिसना चालू कर दिया.
वे शायद गांड में ही लंड पेलने का मन बनाने लगे थे.

मैं बोली- पापा गांड मत मारो, बुर चोदो पहले!
पापा बोले- ओके ठीक है बेटी.

फिर पापा अपना लंड मेरी बुर में लगाने लगे.

मेरी बुर का छेद बहुत छोटा था, तब उसमें एक उंगली भी नहीं जा सकती थी.
फिर इतना मोटा लंड कैसे घुसेगा. यह सोच सोच कर मैं परेशान थी.

मैंने पापा से कहा कि पापा, मेरी बुर में आप अपना लंड इतने जोर से घुसाना कि एक ही बार में पूरा लंड घुस जाए. आप जरा भी नहीं रुकना, चाहे मेरी जान ही क्यों ना निकल जाए.

पापा ने कहा- ओके.
यह कह कर पापा ने मेरी बुर की फाँकों में अपने लौड़े के सुपारे को घिसा तो मेरी बुर में सनसनी होने लगी.

परंतु न जाने क्यों पापा ने अपने लंड को मेरी चुत से हटा लिया.
मैंने पलट कर पापा को देखा तो वे बोले- सीमा यार अपनी कार इस ढाबे के काफी नजदीक ही खड़ी है और यदि लौड़े के घुसने से तुम चिल्लाईं तो लफड़ा हो जाएगा.

मैंने कहा- तो अब क्या करें पापा?
पापा बोले- अपन लोग ढाबे से दूर चलते हैं और उधर कहीं सुनसान में तुम्हारी चुत में लंड पेलूँगा.

मैंने ओके कह दिया और पापा नंगे ही आगे की सीट पर आ गए. मैं भी पापा के साथ उनकी गोद में बैठ गई.
उनका लंड मुझे अपनी गांड में गड़ता हुआ समझ आ रहा था.

कुछ दूर चलने पर एक जंगल का इलाका आया तो पापा ने मुख्य सड़क से कार को नीचे उतार कर घनी झाड़ियों में खड़ी कर दी.
अब उन्होंने मुझे अपनी छाती से चिपका लिया और बोले- दारू पियोगी?

मैंने कुछ नहीं कहा.
वे बोले- दारू से तुम्हें दर्द नहीं होगा.

मैंने ओके कह कर सर हिला दिया.
पापा ने कार की दराज से अपना रम का हाफ निकाला और नीट ही गटक कर अपने मुँह में दारू भरी फिर मेरे मुँह से अपना मुँह लगा कर मेरे मुँह में रम उड़ेल दी.

पहली बार दारू पी थी मैंने और वह भी नीट .. तो समझो अन्दर तक तेजाब सी धार मेरी आंतों को चीरती हुई चली गई.
पापा ने एक सिगरेट सुलगाई और खुद पी कर मेरे होंठों से लगा दी. सिगरेट का कश खींचने से मेरे मुँह का कुछ स्वाद सही हुआ.

अब पापा ने इसी तरह से चार पांच घूंट मेरे मुँह में नीट दारू के भर दिए थे.
इससे सर्दी का अहसास खत्म हो गया था और मैं मस्ती में झूमने लगी थी.

मैंने पापा से कहा कि मेरी चुत में अपना लंड पेल दो पापा, अब रहा नहीं जाता.

पापा ने मुझे वापस घोड़ी बनाया और मुझे डैशबोर्ड से टिका कर खड़ी कर दिया और मेरी चुत पर दारू टपका कर चुत चूसने लगे.
मुझे सच में जन्नत का मजा मिलने लगा था.

कुछ देर बाद पापा ने अपने हैवी लंड को मेरी चुत के मुहाने पर टिकाया और दम से शॉट मार दिया.
मेरी चुत के समझो चिथड़े उड़ गए और मैं तेज आवाज में चीख उठी.

पापा ने झट से मेरे मुँह को बंद किया और ताबड़तोड़ चार पांच शॉट मारते हुए अपना पूरा लंड अन्दर तक पेल दिया.

कुछ देर के दर्द के बाद मैं मजे में आने लगी और पापा ने मेरी चूचियों को मींजते हुए मुझे चोदना शुरू कर दिया.

उन्होंने अपनी जवान कमसिन बेटी को करीब आधा घंटा तक रौंदा.
उसके बाद वे झटके से मुझसे अलग हुए और मेरे मुँह में अपने मूसल छाप लंड को पेल कर अपना पानी मुँह में भरने लगे.

कुछ देर तक हम दोनों ने आराम किया.

पापा ने फिर से एक बड़ा सा घूंट दारू का मुझे पिलाया और हम दोनों ने वापस चुदाई चालू कर दी.
करीब रात को दस बजे हम दोनों चुदाई से फारिग हुए और पापा ने बुआ को फोन करके कह दिया कि मेरी कार रास्ते में खराब हो गई है. हम दोनों सुबह तक आ पाएंगे.

बुआ ने हामी भर दी और हम लोग कपड़े पहन कर चल दिए.

आगे एक होटल में हम दोनों ने नंगे होकर रात बिताई और सुबह उधर से बुआ के घर निकले.

दोस्तो, आपको मेरी यह सच्ची सेक्स कहानी कैसी लगी. आप प्लीज जरूर बताएं.
thedesikahani@gmail.com

और भी मजेदार सेक्स की कहानियाँ पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Antarvasna Story के साथ जुड़े रहें

Post a Comment

0 Comments